पिछले कुछ वर्षों से विभिन्न कारणों और मुद्दों को लेकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता बराबर चर्चा में बनी हुई है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंप्यूटर विज्ञान की एक ऐसी शाखा है, जिसका काम बुद्धिमान मशीन बनाना है। हाल ही में सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग और गूगल के बीच इस बात पर सहमति बनी है कि दोनों भारत की उदीयमान कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence-AI) और मशीन लर्निंग (Machine Learning-ML) के पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई पहलों पर मिलकर एक साथ काम करेंगे, जिससे देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पारिस्थितिक तंत्र निर्मित करने में मदद मिलेगी। नीति आयोग को एआई जैसी प्रौद्योगिकियाँ विकसित करने और अनुसंधान के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस जिम्मेदारी पर नीति आयोग राष्ट्रीय डाटा और एनालिटिक्स पोर्टल के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर राष्ट्रीय कार्य नीति विकसित कर रहा है, ताकि व्यापक रूप से इसका उपयोग किया जा सके।
सरलतम शब्दों में कहें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) का अर्थ है एक मशीन में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कंप्यूटर साइंस का सबसे उन्नत रूप माना जाता है और इसमें एक ऐसा दिमाग बनाया जाता है, जिसमें कंप्यूटर सोच सके.. कंप्यूटर का ऐसा दिमाग, जो इंसानों की तरह सोच सके।
Artificial Intelligence Kya Hai: मशीनें हमारे जीवन में अपना रास्ता बना रही हैं, जिससे हम प्रभावित होते हैं, काम करते हैं और अपना मनोरंजन करते हैं। SIRI से लेकर self-driving cars तक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) तेजी से प्रगति कर रहा है। जबकि science fiction अक्सर AI (Artificial Intelligence)को रोबोट के रूप में मानव जैसी विशेषताओं के साथ चित्रित करती है।
Artificial intelligence को आज narrow AI (या weak AI) के रूप में जाना जाता है, जिसमें इसे एक narrow task (जैसे केवल चेहरे की पहचान या केवल internet searches या केवल एक कार चलाने) के लिए डिज़ाइन किया गया है। जबकि narrow AI अपने विशिष्ट कार्य के लिए मनुष्यों से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है, जैसे शतरंज खेलना या equations को हल करना, Artificial general intelligence (AGI) लगभग हर संज्ञानात्मक (cognitive) कार्य में मनुष्यों को पीछे छोड़ देगा।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) के प्रकार
- पूर्णतः प्रतिक्रियात्मक (Purely Reactive)
- सीमित स्मृति (Limited Memory)
- मस्तिष्क सिद्धांत (Brain Theory)
- आत्म-चेतन (Self Conscious)
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है– बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक जॉन मैकार्थी के अनुसार यह बुद्धिमान मशीनों, विशेष रूप से बुद्धिमान कंप्यूटर प्रोग्राम को बनाने का विज्ञान और अभियांत्रिकी है अर्थात् यह मशीनों द्वारा प्रदर्शित की गई इंटेलिजेंस है।
- इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है, जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट या फिर मनुष्य की तरह इंटेलिजेंस तरीके से सोचने वाला सॉफ़्टवेयर बनाने का एक तरीका है।
- यह इसके बारे में अध्ययन करता है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है और समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है, कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता है।
कहाँ-कहाँ हो रहा (Artificial Intelliegnce)उपयोग?
वर्तमान दौर को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर किये जा रहे प्रयोगों का दौर कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) के प्रमुख अनुप्रयोग
- कंप्यूटर गेम (Computer Gaming)
- प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (Natural Language Processing)
- प्रवीण प्रणाली (Expert System)
- दृष्टि प्रणाली (Vision System)
- वाक् पहचान (Speech Recognition)
- बुद्धिमान रोबोट (Intelligent Robot)
इसके अलावा, किसी बेहद जटिल सिस्टम को चलाने…नई दवाएं तैयार करने…नए केमिकल तलाशने…खनन उद्योग से लेकर अंतरिक्ष…शेयर बाज़ार से लेकर बीमा कंपनियां…मानव जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं बचा है, जिसमें आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का दखल न हो।
इसे इस उदहारण से समझने का प्रयास करते हैं…
- आज विश्वभर में हवाई जहाज़ों की आवाजाही पूर्णतः कंप्यूटर पर निर्भर है। कौन-सा हवाई जहाज़ कब, किस रास्ते से गुज़रेगा…कहां सामान पहुंचाएगा…यह सब मशीनें तय करके निर्देश देती हैं। यानी एयर ट्रैफिक कंट्रोल के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जा रहा है।
तात्पर्य यह कि जिस काम को करने में मनुष्य को समय अधिक लगता है या जो काम जटिल तथा दुष्कर है, वह इन मशीनी दिमाग़ों की मदद से चुटकियों में निपटाया जा सकता है।
भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की संभावनाएँ रोबोटिक्स, वर्चुअल रियल्टी, क्लाउड टेक्नोलॉजी, बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा मशीन लर्निंग और अन्य प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर भारत में निकट भविष्य में चौथी औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात होने की संभावनाएँ तलाशी जाने लगी हैं।नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के अनुसार कृत्रिम बुद्धिमत्ता देश में व्यवसाय करने के तरीके को बदलने जा रही है। विशेष रूप से देश के सामाजिक और समावेशी कल्याण के लिये नवाचारों में विशिष्ट रूप से इसका उपयोग किया जाएगा। स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में क्षमता बढ़ाने, शिक्षा में सुधार लाने, नागरिकों के लिये अभिनव शासन प्रणाली विकसित करने और देश की समग्र आर्थिक उत्पादकता में सुधार के लिये देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा मशीन लर्निंग जैसी भविष्य की प्रौद्योगिकियों को स्वीकार करने का समय निकट आ रहा है।ऐसे में गूगल के साथ नीति आयोग की साझेदारी से कई प्रशिक्षण पहलें शुरू होंगी, स्टार्टअप को समर्थन मिलेगा और पी.एच.डी. छात्रवृत्ति के माध्यम से एआई अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा। सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास राष्ट्रीय स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने के लिये नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। इसमें सरकार के प्रतिनिधियों के अलावा शिक्षाविदों तथा उद्योग जगत को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।वर्तमान बजट में सरकार ने फिफ्थ जनरेशन टेक्नोलॉजी स्टार्टअप के लिये 480 मिलियन डॉलर का प्रावधान किया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 3-D प्रिंटिंग और ब्लॉक चेन शामिल हैं।इसके अलावा सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग, बिग डाटा इंटेलिजेंस, रियल टाइम डाटा और क्वांटम कम्युनिकेशन के क्षेत्र में शोध, प्रशिक्षण, मानव संसाधन और कौशल विकास को बढ़ावा देने की योजना बना रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर 7-सूत्री रणनीति इससे पहले पिछले वर्ष अक्टूबर में केंद्र सरकार ने 7-सूत्री रणनीति तैयार की थी, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने के लिये भारत की सामरिक योजना का आधार तैयार करेगी। इनमें प्रमुख हैं: मानव मशीन की बातचीत के लिये विकासशील विधियाँ बनाना। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और R&D के साथ एक सक्षम कार्यबल का निर्माण करना। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम की सुरक्षा सुनिश्चित करना। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नैतिक, कानूनी और सामाजिक निहितार्थों को समझना तथा उन पर काम करना। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी को मानक मानकर और बेंचमार्क के माध्यम से मापन का मूल्यांकन करना। |
सावधानी भी ज़रूरी है
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से हमारे रहने और कार्य करने के तरीकों में व्यापक बदलाव आएगा। रोबोटिक्स और वर्चुअल रियलिटी जैसी तकनीकों से तो उत्पादन और निर्माण के तरीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेगा। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के मुताबिक अकेले अमेरिका में अगले दो दशकों में डेढ़ लाख रोज़गार खत्म हो जाएंगे।
संभवतया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में रोज़गार जनित चुनौतियों से हम निपट लें, लेकिन सबसे बड़े खतरे को टालना मुश्किल होगा। अतः स्पष्ट है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त मशीनों से जितने फायदे हैं, उतने ही खतरे भी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सोचने-समझने वाले रोबोट अगर किसी कारण या परिस्थिति में मनुष्य को अपना दुश्मन मानने लगें तो मानवता के लिये खतरा पैदा हो सकता है। सभी मशीनें और हथियार बगावत कर सकते हैं। ऐसी स्थिति की कल्पना हॉलीवुड की ‘टर्मिनेटर’ जैसी फिल्म में की गई है।
बन रहे हैं इंटेलिजेंट रोबोट
इस समय का नवीनतम आविष्कार कृत्रिम बुद्धिमत्ता मशीनों की बुद्धि को दर्शाता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से रोबोट को इफेक्टिव और इंटेलिजेंट बनाया जाता है। इस प्रकार के रोबोट विदेशों में एवं देश की कई बड़ी कंपनियों में अपनी जगह बना चुके है और ऐसे काम कर रहे हैं, जिन्हें करने में श्रमिकों और तकनीकी कर्मचारियों को बेहद कठिनाई का अनुभव होता है।
सऊदी अरब का इंटेलिजेंट रोबोट सोफियासोफिया नामक रोबोट को हैनसन रोबोटिक्स के संस्थापक डेविड हैनसन ने 2016 में बनाया था। 25 अक्टूबर 2017 में सऊदी अरब ने इसे अपनी पूर्ण नागरिकता दी और किसी भी देश की नागरिकता हासिल करने वाली वह दुनिया की पहली रोबोट है।सोफिया के हाव-भाव बिल्कुल मनुष्यों जैसे हैं और वह दूसरे के चेहरे के हावों-भावों को भी पहचान सकती है। सोफिया अपनी इंटेलिजेंस से किसी से भी बातचीत करने के अलावा, मनुष्यों की तरह सभी काम कर सकती है और अपने खुद के विचार रखती है। सोफिया को सऊदी अरब के ऐसे सभी अधिकार मिले हैं, जो वहाँ की सरकार अपने नागरिकों को प्रदान करती है। जब कभी सोफिया गलत होगी तो सऊदी अरब के कानून के अनुसार उस पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है। अगर कोई अन्य व्यक्ति या नागरिक सोफिया के साथ कुछ गलत करता है तो सोफिया भी सऊदी अरब के कानून के अनुसार मुकदमा दायर कर सकती है। भारत आ चुकी है सोफिया: मुंबई में जब एशिया का सबसे बड़ा टेक फेस्ट-2017 आयोजित किया गया था तब इसके टेलीफेस्ट में रोबोट सोफिया भी आई थी। सोफिया ने इस कार्यक्रम में भारतीय अंदाज़ को अपनाया और इस प्रोगाम में भारतीय वेशभूषा में सफेद और संतरी रंग की साड़ी पहनी हुई थी। सोफिया ने ‘नमस्ते इंडिया, मैं सोफिया’ कहकर वहाँ मौजूद लोगों का अभिवादन किया। टेक फेस्ट-2017 में तीन हजार लोगों में इस बात को लेकर उत्सुकता थी कि आखिर सोफिया किस तरह बात करती है और सवालों के जवाब कैसे देती है। सोफिया ने सभी सवालों के जवाब बड़ी ही चतुराई और प्रभावी तरीके से दिये। सोफिया ने वहाँ मौजूद लोगों से हिंदी में बात की। |
मशीन लर्निंग (Machine Learning) क्या है?
जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऐसे कंप्यूटर प्रोग्रामों के लिये इस्तेमाल किया जाता है, जो उन समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है, जिसे मनुष्य आसानी से कर सकते हैं, जैसे किसी फ़ोटो को देखकर उसके बारे में बताना। उसी प्रकार एक अन्य काम जो इंसान आसानी से कर लेते हैं, वह है उदाहरणों से सीखना…और मशीन लर्निंग प्रोग्राम भी यही करने की कोशिश करते हैं अर्थात् कंप्यूटरों को उदाहरणों से सीखने के बारे में बताना। इसके लिये बहुत सारे अल्गोरिद्म आदि जुटाने पड़ते हैं, ताकि कंप्यूटर बेहतर अनुमान लगाना सीख सकें। लेकिन अब कम अल्गोरिद्म से मशीनों को तेज़ी से सिखाने के लिये मशीनों को ज़्यादा कॉमन सेंस देने के प्रयास किये जा रहे हैं, जिन्हें तकनीकी भाषा में ‘रेग्यूलराइज़ेशन’ कहा जाता है।
इसे एक उदहारण से और अधिक स्पष्ट करने का प्रयास करते हैं…
- हॉलीवुड की फिल्म ‘माइनॉरिटी रिपोर्ट’ में टॉम क्रूज अभिनीत पुलिसमैन तीन पारलौकिक सी प्रतीत होने वाली शक्तियों से मिली सूचना के आधार पर भावी अपराधियों को कानून तोड़ने के पहले ही पकड़ लेता है।
वास्तव में ऐसा पूर्वानुमान लगाना अधिक कठिन है, लेकिन कंप्यूटर की पूर्वानुमान लगाने की बढ़ती क्षमता के कारण अब ऐसी संभावना कल्पना जगत तक ही सीमित नहीं प्रतीत होती। मशीन लर्निंग प्रोग्राम उल्लेखनीय रूप से सटीक पूर्वानुमान लगा सकता है। यह डेटा की भारी-भरकम मात्रा में पैटर्न तलाशने के सिद्धांत पर काम करता है।
इसे इस उदाहरण से स्पष्ट करने का प्रयास करते हैं…
- किसी रेस्तराँ में साफ-सफाई को ही लीजिये। यह मशीन लर्निंग प्रोग्राम पता करता है कि नज़र में न आने वाले कौन से कारकों के मिलने से समस्या उत्पन्न होती है, लेकिन यदि एक बार मशीन को प्रशिक्षित कर दिया जाए तो वह रेस्तराँ के गंदे होने के जोखिम का आकलन कर सकेगा।
Learn with Google AI तकनीक की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence)और मशीन लर्निंग आजकल चर्चा में बने हुए हैं। इसीलिये गूगल यह प्रयास कर रहा है कि ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence)और मशीन लर्निंग के बारे में लोगों के पास अधिकतम जानकारी हो। इसी के मद्देनज़र गूगल ने Learn with Google AI नामक वेबसाइट शुरू की है, ताकि लोगों को यह समझ में आ सके कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक कैसे काम करती है और मशीन लर्निंग का सिद्धांत क्या है। गूगल ने इसके लिये विशेषज्ञों द्वारा तैयार मशीन लर्निंग क्रैश कोर्स शुरू किया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का विकास मानव के विभिन्न दृष्टिकोणों और ज़रूरतों की विविधता को दर्शाता है। Google AI (Artificial Intelligence) सभी को यह जानकारी निःशुल्क दे रहा है और यह कोर्स उन सभी के लिये है, जो मशीन लर्निंग के बारे में जानना चाहते हैं। Learn with Google AI (Artificial Intelligence) में ऑनलाइन कोर्स की सुविधा भी है। इसे आप गूगल के मशीन लर्निंग एक्सपर्ट के फीचर वीडियो और दृश्य चित्रण के जरिए जानकारी हासिल कर सकते हैं। इस कोर्स की अवधि 15 घंटे की है, जिसमें गूगल के रिसर्चर लेक्चर देंगे। इस कोर्स को गूगल की इंजीनियरिंग एजुकेशन टीम ने तैयार किया है। |
निष्कर्ष: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) की संकल्पना बहुत पुरानी है। ग्रीक मिथकों में ‘मैकेनिकल मैन’ की अवधारणा से संबंधित कहानियाँ मिलती हैं अर्थात् एक ऐसा व्यक्ति जो हमारे किसी व्यवहार की नकल करता है। प्रारंभिक यूरोपीय कंप्यूटरों को ‘लॉजिकल मशीन’ की तरह डिजाइन किया गया था यानी उनमें बेसिक गणित, मेमोरी जैसी क्षमताएँ विकसित कर इनका मैकेनिकल मस्तिष्क के रूप में इस्तेमाल किया गया था। लेकिन जैसे-जैसे तकनीक उन्नत होती गई और कैलकुलेशंस जटिल होते गए, उसी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की संकल्पना भी बदलती गई। इसके तहत इनको मानव व्यवहार की तरह विकास करने की कोशिश की गई, ताकि ये अधिकाधिक इस तरह से इंसानी कामों को करने में सक्षम हो सकें, जिस तरह से आमतौर पर हम सभी करते हैं।
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई का कहना है कि मानवता के फायदे के लिये हमने आग और बिजली का इस्तेमाल तो करना सीख लिया, पर इसके बुरे पहलुओं से उबरना जरूरी है। इसी प्रकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) भी ऐसी ही तकनीक है और इसका इस्तेमाल कैंसर के इलाज में या जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में भी किया जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का निर्माण हमारी सभ्यता के इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में से है। लेकिन सच यह भी है कि यदि इसके जोखिम से बचने का तरीका नहीं ढूँढा, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, क्योंकि तमाम लाभों के बावजूद आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस (Artificial Intelligence)के अपने खतरे हैं। कुल मिलाकर एक शक्तिशाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उदय हमारे लिये फायदेमंद भी हो सकता है और नुकसानदेह भी। फिलहाल हम नहीं जानते कि इसका स्वरूप आगे क्या होगा, इसीलिये इस संदर्भ में और ज़्यादा शोध किये जाने की ज़रूरत है।