जो बीत चुका है, उसको बार-बार दोहरा कर वर्तमान को नहीं सुधारा जा सकता। इसलिए ‘काश ऐसा होता या काश…
चांद की तरह हमारी यात्रा भी अमावस से पूनम तक पहुंचकर पूरी होती है। अभावों का अंधेरा हमें डराता है…