होली फाल्गुन की पूर्णिमा को आती है, जो चंद्र कैलेंडर की आखिरी पूर्णिमा है; भारत में इस कैलेंडर को माना जाता है। फाल्गुन जीवन के फल की ओर संकेत करता है। इस संस्कृति में हमने यह हजारों सालों से जाना है, लेकिन आज, अध्ययन से पता चला है कि पूर्णिमा के दौरान मिट्टी में पानी की एक तरह की हलचल होती है। खासकर फाल्गुन के चंद्र मास के दौरान, सूर्य भी उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी पूरी तीव्रता में होता है। ये दोनों मिलकर पानी को स्वाभाविक रूप से ऊपर उठाते हैं। इसका मतलब है कि हर पेड़-पौधे को साल के इस दौर में किसी दूसरे समय की अपेक्षा अधिक पोषण मिलता है। इसीलिए वे फूलों और फलों से लदे रहते हैं। हर रूप में जीवन प्रस्फुटित होता है। होली का मतलब है, यह पहचानना कि जीवन एक बहुत उल्लासमय प्रक्रिया है। इस दिन, पूरे भारत में लोग एक दूसरे पर रंग फेंकते हैं। वे सिर से पैर तक हर तरह के रंग से ढंक जाते हैं, जो इसका प्रतीक है कि जीवन का सार उल्लास है।
होली जीवन के खिलने का त्योहार है। जिस ऋतु में होली आती है, उस समय प्रकृति एक विशेष स्थिति में होती है। इस समय पेड़-पौधे फूलों और फलों से लदे रहते हैं। इसीलिए होली जीवन की परिपूर्णता और उल्लास का त्योहार है, जीवन का उत्सव है…
अतीत को जला देना
लोगों के लिए जीवन इतना गंभीर इसलिए हो गया है, क्योंकि उन्हें अपनी दिमागी क्षमताओं को संभालने का कोई अनुभव नहीं है- याद्दाश्त और कल्पना की सबसे बुनियादी क्षमताएं। लोग हर वो चीज याद रखते हैं, जो याद नहीं रखी जानी चाहिए, और हर वो चीज भूल जाते हैं, जो याद रखनी चाहिए। वे हर तरह की चीजों की कल्पना करते हैं, जो उन्हें नहीं करनी चाहिए, लेकिन वे किसी ऐसी चीज की कल्पना नहीं कर सकते, जो उनके जीवन को सुंदर बनाएगी।
इन्सान का ज्यादातर जीवन अपनी याद्दाश्त को फेंटते रहने में चला जाता है। लोग हर जगह हर चीज की तस्वीरें और सेल्फी ले रहे हैं, क्योंकि वे घर जाकर उन तस्वीरों की जुगाली करेंगे। वे सिर्फ अपनी यादों का आनंद लेने के काबिल हैं; वे अपने जीवन का आनंद लेने के काबिल नहीं हैं। यह एक गंभीर समस्या है। हमारी याद्दाश्त की जीवंतता हमारी सबसे बड़ी शक्ति है, लेकिन दुर्भाग्य से, ज्यादातर इनसान इसे पीड़ा की प्रक्रिया की तरह इस्तेमाल करते हैं। वे यहां बैठकर उस चीज से दुखी हो सकते हैं, जो 5-10 साल पहले हुई, जैसे कि वह उनके साथ अभी घटित हो रही है। असल में, वे ऐसी चीज से दुखी हैं, जिसका अस्तित्व नहीं है।
जीवन व याद्दाश्त के बीच, याद्दाश्त जानकारी है; जीवन एक घटना है। अगर जीवन की घटना को आपके साथ घटित होना है, तो यह जानना जरूरी है कि खुद के और अपनी याद्दाश्त के बीच कैसे थोड़ी दूरी बनाएं। पर, जिस पल आप अतीत में हुए हालातों पर नकारात्मक नाम लगा देते हैं, तो वो आपसे वाकई चिपक जाते हैं। तो, होली उन्हें जला देने का दिन है, ताकि आप जीवन को एक बार फिर एक अनुभवजन्य घटना के रूप में देख सकें, न कि अतीत की संचित जानकारी के रूप में। आप जीवन में दूर तक तभी जा सकते हैं, जब आप अपने अतीत को छोड़ दें। यह सांप के द्वारा केंचुली उतारने जैसा है। एक पल यह शरीर का हिस्सा होती है, अगले पल यह गिर जाती है और सांप बिना पीछे मुड़े चला जाता है। अगर हर पल, व्यक्ति सांप की तरह खाल को पीछे छोड़ता रहता है, सिर्फ तभी विकास होता है।
जीवन को खिलने दें
होली का मतलब है कि अपने जीवन की सारी गैरजरूरी चीजों को जला देना। इस देश में सड़कों पर, लोग होलिका जलाते हैं- जो हर तरह की नकारात्मकता का प्रतीक है। दक्षिण भारत में, आमतौर पर, लोग अपने पुराने कपड़े और हर किस्म की न इस्तेमाल में आने वाली चीजों को निकालकर, उन्हें सड़क पर इकट्ठा करते हैं और जला देते हैं। यह पुराने कपड़े जलाने के बारे में नहीं है, यह पिछले एक साल की याद्दाश्त को जलाने के बारे में है, ताकि आज आप एक ताजे जीवन के रूप में उल्लासमय और जोशीले हो सकें। यह ऐसा दिन भी है, जब हम उन सब चीजों को जलाते हैं, जो हमें अपनी पूर्णता तक नहीं पहुंचने देतीं- अपना गुस्सा, अपनी नकारात्मकता, अपनी घृणा, अपना छोटापन, अपने डर, चिंता, और तमाम दूसरी चीजें, जो एक इनसान को कुचलकर एक छोटा जीव बना देती हैं। जब आपमें इस किस्म की भावनाएं और विचार होते हैं, तो आप बस किसी भी दूसरे जीव की तरह होते हैं। वे आपको खिलने नहीं देतीं। तो, इन सब चीजों को, जो आपकी पूर्णता की संभावना में बाधा हैं, जलाने के लिए ही फाल्गुन की पूर्णिमा है।
Related Organic Colors for Holi
अगर जीवन की घटना को आपके साथ घटित होना है, तो यह जानना जरूरी है कि खुद के और अपनी याद्दाश्त के बीच कैसे थोड़ी दूरी बनाएं। पर, जिस पल आप अतीत में हुए हालात पर नकारात्मक नाम लगा देते हैं, तो वो आपसे वाकई चिपक जाते हैं। तो, होली उन्हें जला देने का दिन है, ताकि आप जीवन को एक बार फिर एक अनुभवजन्य घटना के रूप में देख सकें
छायाचित्र साभार : दो घुमक्कड़
The Power of Partner Workouts: Why Exercising Together Creates Stronger Bodies, Better Habits & Deeper…
Adherence During a Weight Loss Plateau: The Science, Psychology & Strategy Behind Staying Consistent By…
The Powerful Fitness Transformation Story of Ritu Kothari: From Deep Loss to Unbreakable Strength A…
Mindful Fitness Choices: The Real Secret to Sustainable Results By Coach Smita Bhatnagar, FITTR When…
Mom Fitness Journey: The Untold War Every Mother Fights By Tapasi Chanda | Nutrition &…
The One Thing That Finally Helped My PCOD — And It Wasn’t a Medicine By…