पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में छठ पूजा का विशेष महत्व होता है। इन स्थानों में छठ पूजा के दौरान काफी धूम- धाम रहती है। छठ पूजा का पावन पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है। छठ पूजा का पावन पर्व चार दिनों तक बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार छठ पूजा का पावन पर्व कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी छठी तिथि से चार दिनों तक मनाया जाता है। आइए जानते हैं साल 2022 छठ पूजा डेट, पूजा- विधि…
लोक आस्था का पर्व छठ हमारे देश में मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। छठ पर्व साल में दो बार होता है। पहली बार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को और दूसरी बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। षष्ठी को मनाने के कारण इसका नाम छठ व्रत रखा गया है। दोनों में कार्तिकी छठ ज्यादा प्रचलित है। यह छठ माता की पूजा और सूर्य की उपासना का पर्व है। मुख्य रूप से इस त्योहार को बिहार, झारखण्ड और उत्तर प्रदेश में मनाते हैं। धीरे – धीरे यह त्योहार देश के अन्य शहरों में भी प्रचलित हो गया। प्रवासी भारतीयों के साथ यह पर्व विश्वभर में प्रचलित हो गया है। नेपाल और मॉरीशस जैसे देशों में इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
हिन्दुओं के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक छठ वर्ष में दो बार मनाया जाता है- पहली बार चैती छठ और दूसरी बार कार्तिकी छठ। चैती छठ पूजा चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है और वहीं कार्तिकी छठ पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस पूजा में छठ माता की अराधना और सूर्य को अर्घ देने का विशेष महत्व है। बिहार, झारखण्ड और उत्तर प्रदेश के अलावा देश के अन्य हिस्सों के साथ इसे नेपाल, मॉरीशस एवं अन्य देशों में भी उत्साह पूर्वक मनाया जाता है।
छठ का व्रत किसी कठिन तपस्या से कम नहीं है। छठ पर्व पति और संतान की दीर्घायु के लिए किया जता है। मान्यताओं के अनुसार सच्चे मन से छठ व्रत करने पर सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसी मान्यता है की छठ पर्व पर व्रत रखने वाली महिलाओं को पुत्र की प्राप्ति होती है। महिलाओं के साथ पुरुष भी अपने कार्य की सफलता और मनचाहे फल की प्राप्ति के लिए इस व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करते हैं।
एक मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सूर्य पुत्र कर्ण घंटों पानी में खड़े हो कर सूर्य को अर्घ देते थे। कुछ कथाओं के अनुसार अपने प्रियजनों की लम्बी उम्र की कामना के लिए द्रौपदी भी नियनित सूर्य की अराधना करती थी। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि लंका विजय के बाद भगवान राम और माता सीता ने रामराज्य की स्थापना के लिए कार्तिक माह में शुल्क पक्ष की षष्ठी को सूर्य की पूजा की। पुराणों के अनुसार राजा प्रियवद ने पुत्र की प्राप्ति के लिए छठ का व्रत किया था।
छठ चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन गंगा के पवित्र जल से स्नान कर के खाना बनाया जाता है। इस दिन चने की दाल, लौकी की सब्जी और रोटी का सेवन किया जाता है। नहाय-खाय के बाद खाने में नमक का प्रयोग नहीं किया जाता है। दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। खरना के दिन व्रत करने वाले लोग प्रसाद बनाते हैं। खरना के प्रसाद में खीर बनाई जाती है। इस खीर में चीनी की जगह गुड़ का प्रयोग किया जाता है। शाम को पूजा के बाद इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं। प्रसाद खाने के बाद निर्जला व्रत शुरू होता है। तीसरे दिन नदी किनारे छठ माता की पूजा की जाती है। पूजा के बाद डूबते हुए सूर्य को गाय के दूध और जल से अर्घ दिया जाता है। इसके साथ ही छठ का विशेष प्रसाद ठेकुआ और फल चढ़ाया जाता है। इस त्योहार के आखिरी दिन सूर्य के उगते ही सभी के चेहरे खिल उठते हैं। व्रत करने वाले पुरुष और महिलाओं के द्वारा उगते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाता है। सूर्य को अर्घ देने के बाद व्रत करने वाले लोग प्रसाद खा कर अपना व्रत खोलते हैं। इसके बाद सभी लोगों में प्रसाद बाँट कर पूजा संपन्न की जाती है।
2022 में छठ पूजा कब है, ये आप सभी जानना चाहते हैं. आप छठ पूजा पूरे नियम-विधि विधान के साथ करना चाहते हैं. इस बार छठ पूजा का महावर्प 28 अक्टूबर 2022 से शुरू हो रहा है. यह पर्व भगवान सूर्य और छठी मईया को समर्पित है. छठ पूजा हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है.
लोक आस्था का छठ पर्व चार दिनों तक चलता है. छठ 28 अक्टूबर को शुरू हो जाएगा. 31 अक्टूबर 2022 तक यह पर्व मनाया जाएगा.
छठ पूजा का पहला दिन-
छठ पूजा का दूसरा दिन
छठ पूजा का तीसरा दिन
छठ पूजा का चौथा दिन
छठ पूजा 28 अक्टूबर 2022 को शुरू होगी. कार्तिक माह के चतुर्थी तिथि को पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबसे सूर्य को अस्तलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. चौथे दिन सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य दिया जाता है.
नहाय खाय की तारीख 28 अक्टूबर 2022 है. छठ पूजा की शुरूआत इसी के साथ होगी. छठ महाव्रत में साफ-सफाई का खास खयाल रखा जाता है. इसलिए महिलाएं नहाय खाय के दिन नहाने के बाद ही घर की साफ-सफाई करती हैं.
नहाय खाय के दिन छठ पूजा वाले हर घर में चने की दाल, लौकी की सब्जी और भात बतौर प्रसाद पका कर तैयार किया जाता है. इस प्रसाद में साधारन नमक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसकी जगह सेंधा नमक का उपयोग किया जाता है.
छठ व्रत का दूसरा दिन खरना के नाम से जाना जाता है. इस बार खरना की तारीख 29 अक्टूबर है. खरना के दिन व्रती महिलाएं गुड़ की खीर का प्रसाद बनाती हैं. इस सेवन छठ व्रती महिलाएं रात को करती हैं. उसके बाद उसे प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है. इसी के बाद से 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत आरंभ हो जाता है.
छठ पूजा के तीसरे ने भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है इसलिए इसे अस्तलगामी अर्घ्य भी कहा जाता है. छठ व्रती महिला और पुरुष नदी, तालाब या जलाशय के पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं. अब लोग घर में ही पानी में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं.
30 अक्टूबर को सूर्यास्त का समय 5 बजकर 37 मिनट है.
छठ महार्व के चौथे दिन उगते हुए सूर्य देव को पानी में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाता है. इसी के साथ छठ पूजा का समापन होता है. उसके बाद व्रत का परण किया जाता है.
31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय- सुबह 6 बजकर 31 मिनट
पारण में छठ व्रती महिलाएं और पुरुष पूजा-अर्चना के बाद पूरे विधि-विधान के साथ अपना व्रत खोलेंगे. आपने जान लिया कि 2022 में छठ पूजा कब है.
✨ My Transformation Journey – Preeti Choudhary ✨ A Journey of Self-Discovery and Inner Strength…
Social Life vs. Fitness Plan? Choose Both — and Own Every Room You Walk…
STOP FALLING FOR THESE FAT LOSS MYTHS By Smriti Pandey, Fittr Coach #fittrcoach 🔍…
Why Frequently Changing Workouts Can Be Counterproductive By Pankaj Dhuper, Fittr Coach #fittrcoach Introduction:…
Ruby Choudhury: Blazing Her Own Trail – Sprinter, IT Professional , and Fitness Icon…
Why Walking Is “Too Basic” for Fat Loss (A Sarcastic Reality Check) Looking for…