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मुश्किल हो जब लत छोड़ना

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कई बार हमारे आसपास के हालात इतने विपरीत और असहनीय हो जाते हैं कि हम उनसे लड़ने की बजाय भागने की कोशिश करने लगते हैं। ऐसे में कोई भी वो कार्य, जिसे करने में सुकून मिलता हो, उसे करने की आदत पड़ जाती है। कभी-कभी नीरसता और बोरियत भी हमें कुछ अलग करने के लिए उकसाते हैं…

अपने आस-पास आपने किसी ऐसे शख्स को जरूर देखा होगा, जो तमाम कोशिशों के बावजूद अपनी किसी बुरी आदत को छोड़ने में नाकामयाब रहा होगा। असल में, किसी भी चीज की लत लग जाना बहुत बड़ी आफत है। यह एक ऐसे नशे के समान है, जो आपको वास्तविकता से परे ले जाकर कुछ क्षण राहत के देता है। पर, लंबे समय तक ऐसा करते रहने के परिणाम अच्छे नहीं होते। उदाहरण के लिए, कुछ लोगों को तनाव के समय भूख ज्यादा लगने लगती है या कुछ लोग परेशानी में अनाप-शनाप खरीददारी करने लगते हैं। इसी प्रकार इंटरनेट पर अत्यधिक समय बिताना, धूम्रपान करना, नाखून चबाना या लगातार पैर हिलाना लत में ही शुमार किया जाता है। पर, इन्हें छोड़ने से पहले यह समझना जरूरी है कि आखिर ये आदतें पड़ क्यों जाती हैं?

आप खुद हैं जिम्मेदार

भगवान ने इनसान को बुद्धिमान बनाने के साथ-साथ भरपूर तार्किक क्षमता से भी नवाजा है। इसलिए कोई भी व्यक्ति जान-बूझकर अपना नुकसान नहीं करना चाहता। पर, कभी-कभी हमारे आस-पास की परिस्थितियां असहनीय हो जाती हैं, हम भागने की कोशिश करने लगते हैं। ऐसे में कोई भी वो कार्य, जिसे करने में सुकून मिलता हो, उसे करने की आदत पड़ जाती है या कभी-कभी नीरसता और ऊब हमें कुछ अलग करने के लिए भी उकसाती है।

इसी प्रकार किसी समस्या से ध्यान हटाने के लिए भी कुछ लोग कुछ गैर-जरूरी कार्य करने लगते हैं और धीरे-धीरे उसके आदी हो जाते हैं। सरल शब्दों में कहें, तो सारी स्थिति को समझते और जानते हुए भी जब हम उससे दूर भागने का प्रयास करते हैं, तो उस कार्य को करने की आदत पड़ जाती है। इसका अर्थ यह हुआ कि यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि आप खुद को किसी चीज का आदी होने से कैसे बचाएं। वैसे इसके लिए कुछ बेहद साधारण नियम भी हैं, जिनका अनुसरण करके हम अपनी खराब आदतों को जीवन से दूर कर सकते हैं।

ज्यादा सख्ती न करें

अनुशासन में रहना बहुत अच्छी बात है, पर स्वयं के लिए जरूरत से ज्यादा सख्त नियम बनाना कभी-कभी समस्या को और बढ़ा देता है। मान लीजिए, आपको बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है और आप जानते हैं कि यह व्यवहार ठीक नहीं है। अपनी इस आदत पर काबू पाने के लिए आपको धीरे-धीरे प्रयास करने होंगे। स्वयं को कोसने या धिक्कारने से व्यवहार नहीं सुधरेगा, बल्कि इससे तनाव बढ़ जाएगा। इसका अच्छा तरीका यह हो सकता है कि आप अगली बार गुस्सा आने पर स्वयं से प्रश्न करें कि वो कौन-सी परिस्थितियां हैं, जिनमें आप अपना आपा खो देते हैं और किन बेहतर तरीकों से खुद को शांत रख सकते हैं।

निश्चय हो मजबूत

किसी काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए हौसला मजबूत होना पहली अनिवार्य शर्त है। यही बात कोई बुरी आदत छोड़ने पर भी लागू होती है। इसलिए किसी लत को छोड़ने से पहले अपने आप से यह प्रश्न अवश्य करें कि आप क्या वाकई अपनी बुरी आदत को छोड़ना चाहते हैं और क्या आप मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार हैं?

यदि उत्तर हां है, तो बेशक आगे कदम बढ़ाइए। बेहतर होगा कि अपने किसी करीबी मित्र या अन्य को इस काम में शामिल करें। अपनी हर छोटी कमी या अच्छी बात उसके साथ साझा करें, ताकि यह समझ सकें कि आप अपनी कोशिश में कितने सफल रहे।

माहौल में करें बदलाव

अपनी जिन आदतों को हम छोड़ना चाहते हैं और जब हम उन्हीं के अनुकूल माहौल में रहते हैं, तो उन्हें त्यागना मुश्किल हो जाता है। मसलन, अपना वजन कम करने को इच्छुक व्यक्ति यदि घर में तमाम मीठी, तली-भुनी और सेहत के लिए हानिकारक चीजें रखेगा, तो मन उन्हें खाने को निश्चित रूप से ललचाएगा। इसी प्रकार सिगरेट छोड़ने की कोशिश कर रहा व्यक्ति यदि धूम्रपान करने वाले लोगों के साथ ही उठता-बैठता रहेगा, तो शायद वह अपने उद्देश्यों में सफल न हो पाए।

इसलिए आदत डालने वाले माहौल में बदलाव बहुत जरूरी है। जैसेकि अगर आप ऑनलाइन शॉपिंग करने के आदी हैं, तो अपने किसी विश्वसनीय से उसका पासवर्ड बदलवा दें, ताकि आप चाहकर भी खरीददारी न कर पाएं। आप देखेंगे कि शुरू में शायद आपको झल्लाहट महसूस हो, पर धीरे-धीरे आपकी लत खुद-ब-खुद कम होने लगेगी।

छोटे कदम से हो शुरुआत

आपने जरूर सुना होगा कि जब कोई लक्ष्य बहुत विकट और विशाल लगे, तो उसे छोटे-छोटे हिस्सों में बांट लेना चाहिए। इससे मंजिल पाना आसान हो जाता है। यह तर्क किसी लत को छोड़ने पर भी असर दिखाता है। उदाहरण के तौर पर, डॉक्टर ने आपको मीठे से परहेज करने के लिए कहा है, पर समस्या यह है कि आप मीठे के बहुत शौकीन हैं। ऐसे में अचानक से मीठा पूरी तरह बंद कर देने से आपका मानसिक तनाव बढ़ जाएगा, साथ ही और ज्यादा मीठा खाने की इच्छा होगी। इसकी बजाय अच्छा होगा कि आप छोटा लक्ष्य निर्धारित करें। जैसेकि यदि एक दिन में चार बार मीठे का सेवन करते हैं, तो शुरू के तीन दिन उसे घटाकर दो समय कर दें और फिर उसकी मात्रा घटाते हुए धीरे-धीरे उसे बिलकुल खत्म कर दें। ऐसा करने से आपकी जायके की मिठास भी कम नहीं होगी और अपना लक्ष्य भी आसानी से हासिल कर पाएंगे।

स्वयं का आकलन

खुद का आकलन करना एक ऐसी आदत है, जो हमें एक बेहतर इंसान बनने में मदद करती है। स्वयं के आकलन से हम यह समझ पाते हैं कि गलती कहां हो रही है। इसका सबसे प्रभावशाली तरीका है, अपने आप से सवाल पूछना। जैसे अगली बार किसी तनावपूर्ण स्थिति में जब आपका मन खरीददारी करने का करे, तो रुककर पहले खुद से सवाल करें कि अमुक वस्तु की जरूरत आपको है भी या नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं कि आप सिर्फ अपना तनाव दूर करने के लिए कुछ खरीदना चाह रहे हों। यदि ऐसा वास्तव में है, तो शॉपिंग साइट खोलने की बजाय कहीं टहलने निकल जाएं या अपने किसी दोस्त से बात करें। इसके अलावा आप कुछ भी ऐसा काम कर सकते हैं, जिससे आपको अच्छा लगे। आप महसूस करेंगे कि इससे आपका तनाव तो कम हुआ ही, साथ ही आप अनावश्यक रूप से पैसे खर्च करने से भी बच गए। कहने का मतलब है कि किसी लत को छोड़ना कोई मुश्किल काम नहीं है, बस खुद में विश्वास होना चाहिए।

Sushmita

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